तन-मन-धन सब निष्काम, जब तक नहीं विराजे राम- डाॅ० संदीप

लगभग 500 वर्षों बाद 22 जनवरी को अयोध्या में पुनः भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है यह संपूर्ण विश्व के सनातनियों के लिए बड़े ही हर्ष का विषय है। सनातन धर्म में भगवान राम का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है, भगवान विष्णु ने सातवां अवतार श्री राम के रूप में लेकर संपूर्ण विश्व को धर्म परायणता और मर्यादा का पाठ पढ़ाया। आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व जब मुगलों द्वारा अयोध्या में राम मंदिर को ध्वस्त कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया उस समय परिस्थिति अनुकूल न होने के कारण सनातन धर्म के अनुयायी कुछ विशेष विरोध नहीं कर सके लेकिन स्वतंत्रता के बाद से लगातार यह मुद्दा ज्वलंत बना रहा।

1992 में जब कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया तब सनातन धर्म की शक्ति की गूंज संपूर्ण विश्व में सुनाई दी। त्रेता युग में जिस समय भगवान राम ने जन्म लिया था वैसा ही संयोग 22 जनवरी को बन रहा है इसीलिए भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा इस दिन की जा रही है जिसमें भगवान राम की मूर्ति को जीवंत रूप दिया जाएगा। यह आयोजन भारतवर्ष में एक उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है क्योंकि इस अवसर हेतु सनातनी सैकड़ो वर्षों से धैर्य धारण किये हुए हैं। इस अवसर पर हम सभी को अपने घरों में दीपक जलाकर श्री राम के आगमन की उस प्रकार खुशियां मनानी चाहिए जब भगवान राम वनवास पूर्ण कर पुनः अयोध्या लौटे थे। श्री राम तो वनवास से लौट आए थे लेकिन अयोध्या में उनका न होना हम सभी के लिए वनवास के समान रहा जो बहुत जल्द समाप्त होने वाला है। इस अवसर के लिए सैकड़ों लोगों ने संघर्ष कर अपना सर्वस्व त्याग दिया हम उनके भी ऋणी हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनको भी सद्बुद्धि दें जो इस महान अवसर पर प्रतिकूल भावनायें प्रकट कर रहे हैं।

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