धर्म और संस्कृति रक्षार्थ भागवत कथा जैसे धार्मिक आयोजन आवश्यक- डॉ० संदीप

झाँसी। झरनापति महादेव, झरना गेट के तत्वाधान में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं 21 सर्वजातीय कन्या विवाह महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। 25 जनवरी से प्रारंभ होकर 31 जनवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत कलश एवं शोभा यात्रा के साथ की गई जिसमें रथ, घोड़ों पर भगवानों के स्वरूप सुसज्जित रूप से विराजमान रहे आगे सैकड़ो की संख्याओं में महिलाएं सिर पर कलश लेकर धार्मिक उद्घोष करते हुए चल रही थीं, डीजे पर बज रहे भक्ति गीतों पर भक्तजन नृत्य करते हुए भक्ति रस का आनंद ले रहे थे। तत्पश्चात वृंदावन की भागवत कथाचार्या संस्कृति दीदी द्वारा भागवत कथा का वाचन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक एवं जनपद के प्रतिष्ठित समाजसेवी डॉ० संदीप सरावगी एवं संयोजक के रूप में पंडित बलवीर रावत, महंत अलबेला सरकार, भाजपा नेत्री कविता शर्मा एवं संतोष श्रीवास उपस्थित रहे। डॉ० संदीप ने विधिवत पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत की, आयोजक एवं संयोजकों द्वारा डॉ० संदीप को पगड़ी एवं माला पहनकर उनका भव्य स्वागत किया गया। सात दिवसीय इस कार्यक्रम में कलश यात्रा, शोभायात्रा, मंडप पूजन, अग्नि प्रवेश, वेद पूजन, 56 भोग, मटकी फोड़ बाल लीला, सुदामा कृष्ण मिलन एवं बुंदेली राई नृत्य का आयोजन किया जाना है। कार्यक्रम के प्रथम दिन सैकड़ो की संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।

सातों दिन चलने वाली भागवत कथा में प्रतिदिन अलग-अलग अध्याय का वाचन किया जायेगा। प्रथम दिवस पर भागवत कथा सुनकर भक्तगण मंत्र मुक्त हुए, मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन संदीप सरावगी ने कहा गीता का ज्ञान सर्वश्रेष्ठ है, मनुष्य को जीवन किस प्रकार व्यतीत करना चाहिए यह ज्ञान हमें गीता से मिलता है। सनातन धर्म में हमारे देवताओं और महापुरुषों ने अनुकरण के लिए कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं यदि हम उनके पदचिन्हों पर किंचित मात्र भी चलने का प्रयास करेंगे तो हमारा जीवन सफल हो जायेगा। आज का युवा धर्म एवं संस्कृति से विरत होता जा रहा है, इस कारण परिवारों में संस्कारों की कमी होती जा रही है परिवार टूटते जा रहे हैं और एक दूसरे के सहयोग की भावना समाप्त हो रही है। हमें अपने आने वाली पीढियों को धर्म और संस्कृति से जोड़ना चाहिए इसके लिए हमें अपने बच्चों को भागवत कथा जैसे आयोजनों में अवश्य भेजना चाहिए जिससे वह अपने धर्म और संस्कृति को जान सकें। जिस धर्म के अनुयाई अपनी संस्कृति और सभ्यता छोड़कर अन्य सभ्यताओं का अनुसरण करते हैं तो वह धर्म धीरे-धीरे स्वतः समाप्त हो जाता है। हमारा पहनावा, हमारा रहन-सहन और सदाचार सभी धर्मों में श्रेष्ठ है जब विदेशी लोग हमारे धर्म का अनुसरण कर रहे हैं तो हम क्यों पीछे हैं ? इस बात पर हम सभी को विचार करना चाहिए। इस अवसर पर सहयोगी के रूप में गोपाल नैनवानी, राधे राय, ज्योति स्वरूप बंसल, धर्मेंद्र पाखरे, अश्वनी कुमार, धर्मेंद्र प्रजापति, मुकेश साहू, विजय साहू, सभासद नितिन साहू, बद्री साहू, मुकेश सिंघल, अजय कोस्टा, राजा भईया पाल, सीमा विश्वकर्मा, मोहन पहलवान, संतोष सभासद, सीताराम श्रीवास एवं संघर्ष सेवा समिति से संदीप नामदेव, अनुज प्रताप सिंह, राजू सेन, बसंत गुप्ता, राकेश अहिरवार, सुशांत गेड़ा, भरत कुशवाहा, मिथुन कुशवाहा एवं आशीष विश्वकर्मा आदि सम्मिलित रहे।

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