झांसी। भारत में सिनेमा की सफलता के लिए कलाकारों एवं निर्देशकों से भी अगर कोई अधिक महत्वपूर्ण है तो वह है मजबूत स्क्रिप्ट। हाल ही में आई ट्वेल्थ पास की सफलता या दक्षिण भारत के फिल्म हनुमान इसका सजीव उदाहरण है। उक्त विचार आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर के पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनीष जैसल ने आईईसी एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही स्क्रिप्ट लेखन कार्यशाला में व्यक्त किये। उन्होंने कहा की सिनेमा में स्क्रिप्ट राइटिंग फिल्म लेखन को कहा जाता है। जैसे-जैसे माध्यम बदलता है उसके लेखन का तरीका भी बदल जाता है। उन्होंने बताया कि सिनेमा समाज से प्रभावित होता है। स्क्रिप्ट राइटिंग में संवाद डायलॉग के रूप में होते हैं। ऐसे में लेखन करते वक्त फिल्म के हर पात्र के अनुसार उसके संवाद लिखे जाते हैं।
जितने अधिक पात्र होंगे संवाद के तरीके भी उतने ही प्रकार के होंगे। उन्होंने कहा कि जो भी छात्र स्क्रिप्ट लेखन में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं उन्हें सर्वप्रथम लघु फिल्मों, वृत चित्र आदि पर कार्य करना चाहिए। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छात्रों के लिए आयोजित होने वाले अनेक आयोजनों में सहभागिता करनी चाहिए। देश और दुनिया में बन रहे अच्छे सिनेमा को देखना चाहिए। तभी एक छात्र का व्यापक दृष्टिकोण बन सकता है। इसके पूर्व कार्यशाला संयोजक डॉक्टर कौशल त्रिपाठी ने स्वागत उद्बोधन एवं आभार डॉ राघवेंद्र दीक्षित ने दिया। पत्रकारिता विभाग के समन्वयक में डॉ जय सिंह, डॉ अभिषेक कुमार, अतीत विजय, वीरेंद्र कुमार अहिरवार के साथ स्नातक एवं परास्नातक के छात्र उपस्थित रहे।