निर्विकल्प ध्यान का फल जीवन मुक्ति है स्वामी अद्वैतानंद

झांसी। चिन्मय मिशन झांसी के ज्ञान यज्ञ के आज वेदांत दृग दृश्य विवेक ध्यान की विषय वस्तु के अंतिम दिवस प्रवचन में दीप प्रज्वल्लन पी एन गुप्ता, एसएन गुप्ता, मयंक श्रीवास्तव, प्रेमलता, रजनी गुप्ता, सुधीर अग्रवाल, ईo मुकेश गुप्ता द्वारा किया गया। मुख्य प्रवचन कर्ता स्वामी वेदांत ज्ञान के दृग दृश्य विवेक में ध्यान की प्रकिया व फल को विस्तार से समझाया। ध्यान दो प्रकार के है भीतरी और बाह्य। इनमे भी तीन प्रकार है। द्वैत यानि दृश्य व शब्द सविकल्प कहलाता है और नॉन ड्यूअलिटी यानि अद्वैत यानि एकतत्व होना निर्विकल्प कहलाता है। इस प्रकार कुल 6 प्रकार के ध्यान हैं। ध्यान के निर्विकल्प चरण का फल जीवन मुक्ति है। इसमें देहाभिमान जैसे जैसे गलता है वैसे ही परमात्मा का ज्ञान होता जाता है और धीरे धीरे मन समाधि में लगता जाता है। ब्रह्मचारी राघवेंद्र चैतन्य ने सभी आगुंतको को 4 दिवसीय चिन्मय मिशन दृग दृश्य विषय ध्यान के विषय वस्तु ज्ञान यज्ञ के समापन समारोह में सभी साधकों को साधुवाद दिया। गुरुदेव आरती में डॉ प्रमोद गुलाटी, वीके गुप्ता, कुसुम गुप्ता, अशोक अग्रवाल पीएनबी, वरिष्ठ समाज सेविका रजनी गुप्ता, विनोद सरोएगी आदि शामिल रहे। इस ज्ञान अमृत का लाभ लेने हेतु आज 400 से अधिक साधकों के साथ साथ आनंद नारायण अवस्थी, डॉ चंद्रकांत अवस्थी, कृष्ण पाल राजपूत, देवेंद्र गुप्ता, श्रीमती चंदा अरोरा, संगीता गुप्ता, प्रेमलता गुप्ता, दीप्ति गुलाटी, वीके सेठ, प्रेमलता अत्रि, गोपाल गोयल, आरपी गुप्ता, पीएन गुप्ता, आरसी गुप्ता, मेघना गुप्ता, श्रवण कुमार पांडे आदि साधक उपस्थित रहे। स्वामी अद्वैतानंद ने सभी साधकों को प्रसाद पुस्तिका दे अपना आर्शीवाद दिया। चिन्मय मिशन सचिव ईo मुकेश गुप्ता ने संचालन किया और सभी साधकों और आचार्य हरि ओम पाठक जी के सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया।

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